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दोहे(पुस्तक) पुस्तक संचित ज्ञान की,होती अक्षय कोष। ज्ञान-लब्ध नर को मिले,सदा सुखद-संतोष।। होता मन जब भी विकल,देती पुस्तक साथ। लगता जैसे मित्र आ,चले पकड़ कर हाथ।। धर्म-नीति-साहित्य का,यह देती है ज्ञान। ...